सी.एस.आई.आर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में “कृषि पोषण जैवप्रौद्योगिकी” थीम पर “एक सप्ताह एक विषय” कार्यक्रम का आयोजन

हिमाचल न्यूज़ 7ब्यूरो, पालमपुर सी.एस.आई.आर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में “कृषि पोषण जैवप्रौद्योगिकी” थीम पर “एक सप्ताह एक विषय” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह देश भर में “एक सप्ताह एक विषय” की मुख्य थीम स्टार्टअप्स के माध्यम से आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना, किसानों के सशक्तिकरण के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाना, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना, एवं स्थानीय लिंकेज को मजबूत करना हैं। यह सी.एस.आई.आर संस्थानों द्वारा विकसित प्रोद्योगिकी एवं नवाचारों का प्रदर्शन करने की एक पहल है और सी.एस.आई.आर के सभी संस्थान अपने अपने क्षेत्र में नवाचारों को प्रदर्शित कर रहे हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. शशी कुमार धीमान, कुलपति, हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर ने अपने संबोधन में कहा कि सी.एस.आई.आर भारत में विज्ञान को आगे ले जाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होने कहा वैज्ञानिक, उद्यमी, अकादमिक, और जनमानस के मेल जोल एवं संपर्क से भारत विश्वगुरू बनने की राह में अग्रसर है। उन्होने किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने की दिशा में संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यो की सराहना की। अपने अधक्षीय संबोधन में कृषि पोषण जैवप्रौद्योगिकी मिशन के निदेशक एवं निदेशक,सी.एस.आई.आर-सी.आई.एम.ए.पी, डा. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने अपने ऑनलाइन संबोधन में संसाधनों के सदुपयोग के माध्यम से जैवआर्थिकी के उन्नयन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने पर बल दिया। उन्होंने सी.एस.आई.आर-आई.आई.आई. एम., जम्मू के लेवेन्डर, सी.एस.आई.आर-आई.एच.बी.टी के जंगली गेंदे तथा सी.एस.आई.आर-सी.आई.एम.ए.पी के मिंट की कृषि प्रौद्यागिकी की सफलता के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि इन फसलों ने गेमचेंजर के रूप में किसानों को आत्मनिभर्रता की ओर अग्रसर किया है। उन्होने इस मिशन से जुड़े सी.एस.आई.आर के अन्य संस्थानों के कार्यों की भी चर्चा और सराहना की।कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि, डा. ज़बीर अहमद, निदेशक, सी.एस.आई.आर-आई.आई.आई. एम., जम्मू ने कहा कि विकसित भारत 2047 का संकल्प हम सब को याद रखना हैं और इस ओर लगातार प्रयासरत रहना है। उन्होंने सी.एस.आई.आर-आई.आई.आई. एम., जम्मू द्वारा लेवेन्डर के माध्यम से किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने की दिशा में किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। डा. कनन श्रीनिवासन, निदेशक, सी.एस.आई.आर- सी.एस.एम.सी.आर.आई., भावनगर ने संस्थान की उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से देश को बहुत अधिक उम्मीद है। अतः हमारा दायित्व है कि राष्ट्र एवं विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत रहें। इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथि, सुश्री नेत्रा मेती, भा. प्र. से.,एस.डी.एम., पालमपुर ने उद्यमिता विकास में संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए छात्रों को शोध कि ओर आकर्षित एवं प्रेरित किया। इससे पहले सी.एस.आई.आर-आई.एच.बी.टी के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव ने अपने स्वागत संबोधन में संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए जैवआर्थिकी को बढ़ावा देने में संस्थान का सामर्थ्य तथा नए अवसरों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने पुष्प एवं सगंध फसलों की कृषि तकनीक विकसित करके आत्मनिर्भता की ओर कदम बढ़ाए हैं। संस्थान ने हींग, केसर, स्टीविया, लिलियम, दालचीनी आदि जैसी फसलों को भी प्रोत्साहित किया है ताकि आम जन को लाभ पहुँच सके। उन्होंने बताया कि अरोमा मिशन के तीसरे चरण में सी.एस.आई.आर-आई.एच.बी.टी ने सगंध फसलों की खेती को ग्यारह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़ाया है। साथ ही उन्होने मिशन भरपूर के अंतर्गत किए गए कार्यों की भी जानकारी दी, जिसका अब उना तथा चंबा जिले में विस्तार किया जा रहा है। संस्थान पोषण से भरपूर खाद्य उत्पादों को राज्य सरकार के साथ मिलकर उपलब्ध करा रहा है। इस अवसर पर राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसानों एवं उद्यमियों को विभिन्न फसलों के बीज एवं रोपण सामग्री वितरित कि गई तथा जर्मन केमोमाइल एवं लेवेन्डर की नई किस्मों हिम कांति एवं हिम आरोही के ब्रोशरों का विमोचन भी किया गया। साथ ही संस्थान की प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए 3 समझौता ज्ञापन, एवं स्टार्टअप तथा इन्क्यूबेशन सुविधा हेतु 10 लोगों के साथ करार किए गए। इस अवसर पर एक उत्पाद एवं पुष्प प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।