शहीद मेजर सुधीर कुमार वालिया अशोक चक्र सेना मैडल बार के बलिदान दिवस की 25वीं पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि

बृहस्पतिवार, 29 अगस्त 2024 –इंडियन आर्मी के रैंबो के नाम से पहचाने जाने वाले वीर भूमि पालमपुर के बनूरी गांव के बेटे शहीद मेजर सुधीर कुमार वालिया अशोक चक्र सेना मैडल बार के बलिदान दिवस की 25वीं पुण्यतिथि पर पालमपुर वासियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए तथा शहीद को श्रद्धांजलि दी । पालमपुर होल्टा HQ 39 MTN DIV और अल्लीलाल कैंटोनमेंट से कैप्टन अमित सिंह तंवर ने अपने सैनिक सदस्यों के साथ शहीद के पालमपुर स्थित प्रतिमा स्थल पर शहीद मेजर सुधीर वालिया को श्रद्धांजलि दी । म्युनिसिपल कॉरपोरेशन पालमपुर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के कमिश्नर आशीष शर्मा , मेयर गोपाल नाग तथा अन्य पार्षदों राधा सूद, मोनिका शर्मा, शशि राणा, राठौर तथा एमसी के अन्य अधिकारियों सहित शहीद मेजर सुधीर वालिया के बलिदान को याद कर शहीद को श्रद्धांजलि दी ।
इस मौके पर शहीद मेजर सुधीर वालिया के पिता रुलिया राम वलिया , डॉक्टर एन के कालिया, शहीद की बहन आशा वालिया , भाभी सिमरन वालिया, बहनोई प्रवीण आहलूवालिया , हिमाचल ग्रामीण बैंक , बनूरी के प्रबंधक पंकज कपूर , शहीद मेजर वालिया के सैनिक स्कूल सुजानपुर के सहपाठियों के साथ-साथ अन्य मित्र संबंधियों विशाल महाजन, मनु अवस्थी , सुनील अवस्थी, अजय सूद, कमल सूद , नवीन वालिया , कमलेश धिमान, सुनील शर्मा , रंजीत , पंकज वालिया, शालिनी वालिया, अरमान , जैस्मिन, नंदिनी, करणवीर , सनी धिमान और सृष्टि आदि उपस्थित रहे ।
शहीद की बहन आशा वालिया ने मेजर सुधीर वालिया के सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए बताया कि वीर भूमि पालमपुर के वीर सैनिकों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए, मां भारती की रक्षा की, यह हम सबके लिए गौरव की बात है जिनकी वजह से हम सब आज सुरक्षित हैं ।
वहीं मेजर सुधीर वालिया गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल , बनूरी में भी शहीद की याद में श्रद्धांजलि समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया , जहां पर स्कूल के प्रधानाचार्य रवींद्र वर्मा ने विद्यार्थियों संघ शहीद मेजर सुधीर वालिया के सर्वोच्च बलिदान को याद किया तथा बच्चों को देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया । इस मौके पर स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा शहीद की याद में देशभक्ति के गीत, समूह गान और कविताएं पेश की ।
सैनिक स्कूल सुजानपुर के सहपाठी तथा डिवीजन मैनेजर, एचआरटीसी , पंकज चड्ढा जी, प्रमुख व्यवसायी और समाजसेवी राजीव जमवाल , सुजानियन सहपाठी कर्नल दिवेज , भारत विकास परिषद से कमल सूद, मनोज रतन स्कूल द्वारा शहीद की याद में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।
इस मौके पर मेजर सुधीर वालिया के परिवारजनों ने स्कूल के मेधावी छात्र-छात्राओं को सालाना स्कॉलरशिप के अंतर्गत आठवीं, नौवीं और दसवीं कक्षा में प्रथम आए बच्चों को छात्रवृत्ति दी ।
शहीद मेजर वालिया के बलिदान दिवस के मौके पर स्कूल के प्रांगण में वीर भूमि पालमपुर के शहीदों को याद करते हुए पौधारोपण कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत प्रांगण में छायादार पौधे रोपित किए गए ।
मेजर सुधीर वालिया की बहन आशा वालिया ने म्युनिसिपल कॉरपोरेशन तथा सरकार से गांव बनूरी का नाम शहीद के नाम पर सुधीर नगर रखे जाने तथा गांव में शहीद के नाम का मुख्य द्वार बनवाने की मांग की ।
ज्ञात रहे कि शहीद मेजर सुधीर वालिया का जन्म 24 मई 1968 को जोधपुर के सैन्य अस्पताल में हुआ था। जहां उनके पिता जी सुबेदार रुलिया राम वालिया कार्यरत थे। 1978 में अपने गांव के स्कूल में आरंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद सुधीर ने कक्षा छह के विद्यार्थी के रुप में सुजानपुर टिहरा के सैनिक स्कूल में दाखिला लिया था। ये सुजानपुर टिहरा सैनिक स्कूल का पहला बैच था। अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के बाद सुधीर वालिया ने 1984 में खड़कबासला की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश पाया। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में एक कैडट के रुप में तीन साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अब सुधीर वालिया भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून का एक जैंटलमेन कैडट था..
23 जून 1988 सुबेदार रुलिया राम और उनकी पत्नी राजेश्वरी के लिए एक बहुत बड़ा दिन था… जब उनके बेटे सुधीर वालिया ने 4जाट रैजिमेंट में एक 2nd लैफ्टिनैंट के रुप में कमीशन पाया।
कमीशन पाने के तुरंत बाद 2nd लैफ्टिनैंट सुधीर वालिया को भारतीय शांतिसेना का हिस्सा बना कर श्री लंका में लिट्टे से लड़ने के लिए भेजा गया। श्रीलंका से बापिस आने के बाद सुधीर वालिया स्पेशल फोर्स के लिए वॉलंटियर हुए और पैरासूट रैजिमेंट की 9th बटालियन में सफलतापूर्ण स्थापित किए गये । 9th पैरा भारतीय सेना की एक खास टुकड़ी है जो पर्वतीय आप्रेशन के लिए जानी जाती है..
मेजर सुधीर वालिया ने काश्मीर घाटी में बहुत से आप्रेशन में इस टुकड़ी का नेतृत्व किया और घाटी में आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं का सफाया किया।
ऐसे ही एक कामयाब आप्रेशन के लिए उन्हे सेना पदक (बहादुरी) से नवाजा गया।
मेजर सुधीर वालिया की अद्भुत कार्यशैली की बजह से अमेरिका ने पैंटागन में अमेरीकी सैनिकों को सम्बोधित करते का न्यौता दिया, यह एक गैर अमेरिकी सैन्य ओफिसर के लिए विरला मौका था।
उन्होंने 25 जुलाई 1999 को 9th पैरा का नेतृत्व किया और एक दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार कर ZULU POST KARGIL पर कब्जा कर लिया…
29 अगस्त 1999 को मेजर सुधीर वालिया ने अपने पांच कमांडो के साथ आतंकियों के बहुत बड़े गिरोह पर हमला किया और बीस आतंकवादियों को मार गिराया। इस कार्रवाही में अदम्य साहस का परिचय देने के बाद सुधीर वालिया अमर हो गये…
मेजर सुधीर वालिया को इस अदम्य साहस और आत्म बलिदान के लिए राष्ट्र के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोकचक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया गया..